बुधवार, 20 अगस्त 2014

हौसला न हारो

हौसला    न     हारो      तुम      मुकाम     के     लिए।
खूब    मेहनत    करो    अपने    अरमान    के   लिए।।
लोग    आकर   चले   जाते    हैं   कौन   याद   करता ?
कुछ कर जाओ इस दुनियाँ में अपनी पहचान के लिए।।

गुरुवार, 14 अगस्त 2014

आया - आया है देखो पन्द्रह अगस्त

आया - आया  है  देखो  पन्द्रह  अगस्त ।
मेरी  शुभकामना   है  भारत   समस्त ।।
पाक करता हमेशा   है  नापाक हरकत ।
दोस्ती का है करता  हर बार दस्तख़त ।।
प्रस्ताव   दोस्ती  का  कर  दो   निरस्त ।
आया - आया है ...........
बेशरम   है   ये   इतना   सुधरता   नहीं ।
युद्ध   कारगिल  से  सीख  ये  लेता नहीं ।।
भारत   ने    इसको   किया   है  परस्त ।
आया - आया है ...........
ऐ   चीन   तुम    भी   औकात   में  रहो ।
इज़्ज़त - ए - हिन्द  की न घात में रहो ।।
भारत   के   पास   हैं    परमाणु   शस्त्र ।
आया - आया है ...........
पीछे  से तुम्हारे  कोई  वार  कर न पाये ।
हिन्द की धरती पे अधिकार कर न पाये ।।
ऐशो  आराम  में  न  रहना  इतने मस्त ।
आया - आया  है  देखो  पन्द्रह  अगस्त ।।
मेरी   शुभकामना    है   भारत  समस्त ।।

शुक्रवार, 8 अगस्त 2014

मेरे बारे में

नाम - संघ शील ( प्रचलित नाम - सागर )
जन्म तिथि - एक अक्टूबर (ऑफिशियल  25 - 10 - 1990 )
पिता - श्री बृज किशोर
माता - श्रीमती प्रेमा देवी
निवास स्थान  - वार्ड नं ० - दो आदर्श नगर, झींझक, जिला - कानपुर देहात, यू ० पी ०
शिक्षा  - एम० एस० सी०, एम० फिल० (cont...... )
लेखन - ग़ज़ल, कहानी, विज्ञान गीत, कविता
उपलब्धि - सचिव, सागर साइन्स क्लब (सम्बन्ध - विज्ञान प्रसार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी  विभाग, भारत सरकार  ), स्वीकृत पहचान संख्या - V3147006
महत्वपूर्ण गतिविधियाँ - समय - समय पर विज्ञान जागरूकता रैली एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास व सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए गोष्ठी का आयोजन, छात्रों को निशुल्क विज्ञान के मूल सिद्धान्तों को प्रयोग द्वारा समझाना।
सम्पर्क सूत्र -
मोबाइल नं ० 09307152866
E-mail - sagar.jjk@gmail.com

शनिवार, 2 अगस्त 2014

मोहब्बत में शैतान भी इंसान हो जाते हैं

बेवफा  भी   वफ़ा  के   कद्रदान   हो  जाते  हैं ।
मोहब्बत  में  शैतान  भी  इंसान  हो जाते  हैं ।
गरीबों   के   दर्द   को  एहसास   करके  देखो ।
गरीबों  के लिए  दाता   भगवान   हो जाते  हैं ।
जो   सपनें    कभी    पूरे   हो    नहीं    सकते ।
अक्सर  वो  ज़िन्दगी  के  अरमान  हो  जाते ।
जिनको   हमेसा   हम   अपना   समझते   हैं ।
वो किस्मत के रुठने पर अन्जान  हो जाते हैं ।
कठिनाइयों को पार करके जो पाते हैं मंज़िल ।
वो   यात्री    नहीं    फाहियान    हो    जाते   हैं ।
तू ऐतबार  करता है   जिस  पर  भी  'सागर' ।
वो  भूल   कर   ईमान   बेईमान  हो  जाते  हैं ।