बुधवार, 14 अक्तूबर 2015

मुझे प्यार का मतलब समझा दो

कुछ - कुछ होता है दिल में, मेरी उलझन को सुलझा दो ।
कहते किसे हैं प्यार मुझे,  प्यार का मतलब समझा दो ।।
अब तुम छोड़ो रीति रिवाज़, अपना होता नहीं है समाज ।
तुम मुझसे मिलने आ जाओ, सारी दुनियाँ को ठुकरा दो।।
मुझे  रब  के  दर्शन  करने  का   शौक  नहीं  है  बिल्कुल ।
मेरे  यार  में  रब  दिखता है  मुझे  यार  के  दर्श करा दो ।।
कहीं   ऐसा   न   हो   कि   फ़िर   देर   बहुत   हो   जाये ।
करते  हो  जो  प्यार   मुझे   तो  जल्दी  से  अपना  लो ।।
मुझे  याद   नहीं   है   कब  से   हम   हँसना   भूल   गए ।
पहले    के   जैसा    मुझे    फिर   से   तुम    हँसा    दो ।।
तुम   भी  करते   प्यार  मुझे   एक   बार   तो   कह  दो ।
मेरी  खुशियाँ  वापस  कर दो  मेरा  चैन  भी  लौटा  दो ।।
आज    तक    तुमको   मैं     समझ   नहीं    पाया    हूँ ।
तुम  मेरी   कौन   लगती  हो   असली  बात   बता  दो ।।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर रचना की प्रस्‍तुति। लगातार लिखते रहें अौर अपने ब्‍लाग को एडसेंस से सुसज्जित करें।

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  2. बहुत सुन्दर रचना
    आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!

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