शनिवार, 3 जनवरी 2015

गुजरा हुआ साल तो ख़्वाब था ।

गुजरा     हुआ     साल     तो     ख़्वाब     था ।
नये   साल   के   इंतज़ार    में   दिल   बेताब   था ।।
नये     साल     की     हक़ीक़त     हो     ऐसी ।
तुम निकलो जिधर से लोग समझें कोई महताब था ।।

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