रविवार, 4 जनवरी 2015

कि "सागर" भी अब तो समन्दर हुआ ।।

ख़ुदा   का   आज   पैदा    पैग़म्बर   हुआ ।
नबी   का    आख़िरी    ये   नम्बर   हुआ ।।
मोहम्मद   ने   पहला   क़दम   जब  रखा ।
जमीं   ख़ुश    हुयी   और   अम्बर   हुआ ।।
भाई - चारे से रहना जब सिखलाया उसने ।
खुराफ़ातियों का मन फिर दिगम्बर हुआ ।।
बज़्म - ए - नबी  की जो  आया  कभी  भी ।
वो     पत्थर    नहीं    संगमरमर     हुआ ।।
ख़ुदा      ने     मुझको      इतना      दिया ।
कि  "सागर"  भी अब तो  समन्दर  हुआ ।।


सभी को जश्न - ए - ईद मिलाद - उन - नबी मुबारक़ हो।

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