मेरे दिल के वो टुकड़े हजार कर गयी ।
मेरी ज़िन्दगी में घुस के अत्याचार गयी ।।
अब तो ज़िन्दगी का आखिरी मेला भी ख़तम हुआ ।
आज डोली उसकी घर को मेरे पार कर गयी ।।
ज़िन्दगी ने जिससे भी की बेवफाई ।
मौत की सहेली उससे प्यार कर गयी ।।
उसका मासूम चेहरा मैं कैसे भूल सकता ।
उसकी तस्वीर जहन में आकार कर गयी ।।
भले किसी और का दिल जीत लिया हो ।
मेरे दिल से तो वो हार कर गयी ।।
ये मोहब्बत का कैसा तोहफा सौगात में दिया ।
वो दुश्मन भी मेरे दो चार कर गयी ।।
मेरे उपापचय का न कोई उपचार है ।
मेरा हमदर्द बनकर बीमार कर गयी ।।
कुछ दिन ही सही लेकिन प्यार तो किया ।
एक सपना था मेरा वो साकार कर गयी ।।