सोमवार, 26 जनवरी 2015

हिंदुस्तान का जहाँ में जवाब नहीं ।


हिंदुस्तान   का  जहाँ  में  जवाब  नहीं ।
इसकी चमक है हक़ीक़त  महताब  नहीं ।।
कहते कलाम  हिंदुस्तान  होगा विकसित ।
भारत की शक्ति से दुनियाँ हुयी परिचित ।।
हमने देखा है सपना  कोई  ख्वाब  नहीं ।
हिंदुस्तान  का  जहाँ  में   जवाब  नहीं ।।
हिंद के जवानों का  अंग  भंग  करता है ।
सीज फायर  का ये  उल्लंघन  करता है ।।
पाक  दुश्मन  हमारा  है  अहबाब  नहीं ।
हिंदुस्तान   का  जहाँ  में  जवाब  नहीं ।।
झुकने  न  देना  सर  कटा  लेना  तुम ।
देश  की  शान  को   बचा  लेना  तुम ।।
झुक जाये  सर जिसका  वो नवाब  नहीं ।
हिंदुस्तान   का  जहाँ  में  जवाब  नहीं ।।
भारत  सरकार  क्यों  देती  सम्मान  है ।
नींचनींचनींचनींच  नींच पाकिस्तान है ।।
इसने अदब से किया  कभी  आदाब नहीं ।
हिंदुस्तान   का  जहाँ  में  जवाब  नहीं ।।
भीख माँग के खाता और बनता होशियार है ।
हथियार   चीन  से  मँगाता  उधार  है ।।
ये  मुर्गे  की  बिरयानी  है  क़बाब नहीं ।
हिंदुस्तान   का  जहाँ  में  जवाब  नहीं ।।
उत्तर में हिमालय का है  सीना  फौलादी ।
पश्चिम में सागर और कश्मीर में है वादी ।।
इसके हुस्न के जैसा  कोई  शबाब  नहीं ।
हिंदुस्तान   का  जहाँ  में  जवाब  नहीं ।।

शनिवार, 24 जनवरी 2015

देखो हमारा भारत श्रंगार कर रहा ।।

दुश्मन    तो   मुल्क   पे   वार   कर  रहा ।
देखो   हमारा   भारत   श्रंगार   कर   रहा ।।
इस मुल्क का हर बच्चा ऐसा काम करेगा ।
विश्व   में    भारत     का    नाम   करेगा ।।
आने  वाले  कल  का  इन्तज़ार  कर  रहा ।
देखो   हमारा   भारत   श्रंगार   कर   रहा ।।
सोने की चिड़िया की रखना तुम निगरानी ।
इस काम के लिए  चाहे  हो  जाये क़ुर्बानी ।।
दुश्मन  तो सीमा  मुल्क़ की  पार  कर रहा ।
देखो   हमारा    भारत   श्रंगार   कर   रहा ।।
झुकने को पाकिस्तान को मज़बूर कर देना ।
शीशे की तरह इसको  चकनाचूर कर देना ।।
बेशरम  तो   भारत   से  टकरार   कर  रहा ।
देखो    हमारा   भारत    श्रंगार   कर   रहा ।।
भारत   के   वीर   मौत  से  डरते   नहीं   है ।
मर जायें  चाहे  फिर  भी ये  मरते  नहीं  हैं ।।
भारत का हर इन्सां  मौत से प्यार कर रहा ।
देखो   हमारा    भारत    श्रंगार   कर   रहा ।।
शहीदों के लिए तिरंगा  है कपड़ा कफ़न का ।
बागियों  ने   देखा  जो   सपना   वतन  का ।।
आज़ाद   हिन्द   सपना   साकार   कर  रहा ।
देखो   हमारा    भारत    श्रंगार    कर   रहा ।।
शहीदों  की   याद   जब  आती   ज़िन्दगानी ।
दिल से दुवा निकलती आँखों से गिरता पानी ।।
शहीदों को नमन "सागर" बारम्बार कर रहा ।
देखो    हमारा    भारत    श्रंगार   कर   रहा ।।

रविवार, 18 जनवरी 2015

हर्फ़ रोने लगते हैं मैं जब भी रोता हूँ ।

मालूम  है  वो  हमारी   किस्मत  में  नहीं  है ।
फिर भी उस से दूर होने को दिल नहीं करता ।।

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कभी      ख़्वाहिश      थी     उसे     पाने     की ।
अब तो लगता है वो मेरा बना रहे वही काफी है ।।

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हर्फ़  रोने  लगते  हैं  मैं  जब  भी  रोता  हूँ ।
सूखे  पेड़   मेरी   कहानी   बयाँ   करते  हैं ।।

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हम अपने  मोहब्बत  की  नुमाइश  नहीं कर पाते ।
और  वो  समझते  हैं  कि  हम  प्यार  नहीं  करते ।।

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गुरुवार, 15 जनवरी 2015

मुबारक़ हो तुमको जनम दिन तुम्हारा।।

गहरी  झील ने  हमारी  किया है इशारा ।
मुबारक़ हो तुमको जनम दिन तुम्हारा ।।
निकले हैं जफ्ज़ दिल से  क़बूल कर लो ।
इनके सिवा दुनियाँ में कुछ नहीं हमारा ।।
भीड़ में जिसको  तलाशे  नज़र तुम्हारी ।
नज़रों का तुम्हारी वो बन जाये नज़ारा ।।
हँसते  हुए   दिल  को   जो  रुला   जाये ।
वो  पल  ज़िन्दगी  में  न  आये  दुबारा ।।
भूल   कर   उनको    कभी   न   रुलाना ।
तुम   हो   जिनकी   आँखों   का   तारा ।।
करके मोहब्बत हमसे नफ़रत न करना ।
तुम्हारे   सिवा  यहाँ   कौन   है  हमारा ।।
मोहब्बत  करें  तेरी   इबादत  करें  हम ।
तूफानों में भी तुझको मिल जाये किनारा ।।
न    हो    मुलाकात     कभी    आख़िरी ।
जुदाई   के   बाद   मिलो   तुम   दुबारा ।।
टूटा  जो   दिल   मेरा   तो   क्या   हुआ ।
दिल के  लिए  तो तूँ  अब  भी  है प्यारा ।।
मुबारक़ हो तुमको जनम दिन तुम्हारा ।।

मंगलवार, 13 जनवरी 2015

कभी माँगने लगे न वो तस्वीर अपनी ।

यादों   को   उसकी    हम   भुला   न   सके ।
किसी  और  से   दिल  को  लगा  न   सके ।।
कभी  माँगने  लगे  न  वो  तस्वीर  अपनी ।
यही   सोच   कर    हम    जला   न    सके ।।
उसके बिना  ज़िन्दा रहना मुश्किल है मेरा ।
हैं   हालात   ऐसे   उसको   बुला   न   सके ।।
उसके    खयालों    में   मैं    दूर   हो   गया ।
आज  भी  करते  प्यार  उसे  बता  न  सके ।।
बहुत  हँसते थे  जब वो  हमसफ़र  था मेरा ।
तन्हा  हुए  जब से  ख़ुद  को  हँसा  न सके ।।
उसने  कहा  था  खूब  हँसा  करो   "सागर" ।
जब याद उसकी आयी  आँसू  छुपा न सके ।।

सोमवार, 12 जनवरी 2015

तुम ख़ुश रहना हम दुवा करेंगे ।।

मालूम नहीं था  वो जफ़ा करेंगे ।
जिसने कहा था हम वफ़ा करेंगे ।।
दूर  मुझसे  होकर  वो  कहते  हैं ।
तुम ख़ुश रहना  हम  दुवा करेंगे ।।

शनिवार, 10 जनवरी 2015

पर मेरा तो यादों ने जीना मुश्किल कर दिया ।।

नाम उसके अपनी साँसे धड़कन दिल कर दिया ।
ख़ुद डूब गये और उसके पास साहिल कर दिया ।।
कहते हैं लोग  कि यादें जीने का सहारा होती  हैं ।
पर  मेरा तो यादों ने  जीना मुश्किल  कर दिया ।।

गुरुवार, 8 जनवरी 2015

उसने कहा था कि अपनी तस्वीर भेज दो ।

मेरी गुज़ारिश पर भी मुझसे मुलाक़ात नहीं करती ।
ख़ूब   किया   याद   अब   याद   भी  नहीं   करती ।।
उसने   कहा   था  कि   अपनी   तस्वीर   भेज  दो ।
अब   कैसे   भेजूँ  जब  वो   बात  ही  नहीं  करती ।।

मंगलवार, 6 जनवरी 2015

वक़्त के साथ में क्या - क्या बदल गया ।

वक़्त  के  साथ  में  क्या  -  क्या  बदल   गया ।
हम  वही  तुम  वही  बस   वक़्त   बदल  गया ।।
बेदर्द    इस   ज़माने   में    ज़िन्दा   वही   रहा ।
वक़्त    से   पहले    जो    भी    सँभल    गया ।।
ऐतबार   नहीं   मुझको   अब   रहा   किसी   पे ।
धोखा  दिया  उसने  जो ज़िन्दगी  बदल  गया ।।
कुछ  नहीं  है दुनियाँ में  बस वक़्त का है  खेल ।
हाथ कुछ नहीं आयेगा गर वक़्त निकल गया ।।
गुलशन में क्यों ढूंढ़ते  अब  कलियों की  रानी ।
जब  से  आयी   बहार   हर  फूल  खिल   गया ।।
क्यों  हो रहे उदास  तुम  इस तरह से  "सागर" ?
तुम्हें    तो   तुम्हारा    महबूब    मिल    गया ।।

सोमवार, 5 जनवरी 2015

शिक्षा बिना काम नहीं चलता ।।

बूँद - बूँद से घड़ा है भरता । शिक्षा बिना  काम  नहीं चलता ।।
शुरू करो न काम ऐसा । जिसको करने में दिल नहीं लगता ।।
कश्ती   पार   होती  उसकी । तूफ़ानों   से  जो   नहीं   डरता ।।
जीना  दूभर  होता  उसका । रोता  ज्यादा  कम  जो  हँसता ।।
जीवन तो कट ही जाता है । साथ में जब कोई अपना रहता ।।
जानवरों से बद्तर वो है । करुणा, दया जिसमे नहीं  बसता ।।

रविवार, 4 जनवरी 2015

कि "सागर" भी अब तो समन्दर हुआ ।।

ख़ुदा   का   आज   पैदा    पैग़म्बर   हुआ ।
नबी   का    आख़िरी    ये   नम्बर   हुआ ।।
मोहम्मद   ने   पहला   क़दम   जब  रखा ।
जमीं   ख़ुश    हुयी   और   अम्बर   हुआ ।।
भाई - चारे से रहना जब सिखलाया उसने ।
खुराफ़ातियों का मन फिर दिगम्बर हुआ ।।
बज़्म - ए - नबी  की जो  आया  कभी  भी ।
वो     पत्थर    नहीं    संगमरमर     हुआ ।।
ख़ुदा      ने     मुझको      इतना      दिया ।
कि  "सागर"  भी अब तो  समन्दर  हुआ ।।


सभी को जश्न - ए - ईद मिलाद - उन - नबी मुबारक़ हो।

शनिवार, 3 जनवरी 2015

खुशियों की नई किरण लेकर आया वर्ष नूतन ।

खुशियों  की  नई  किरण  लेकर  आया  वर्ष  नूतन ।
इतना  खूबसूरत  हो  वर्ष  जितनी  होती  है  दुल्हन ।।
इन खुशियों की किरण से आपका उज्जवल हो भविष्य ।
आपकी   छवि   फैले  जहाँ  हों   धरती  और  गगन ।।

देखने को मिला जो हमको नया वर्ष है ।

देखने को मिला जो हमको नया वर्ष है ।
कैसे बतायें दिल में मेरे कितना हर्ष है ।।
पाकर के बधाई प्रियजनों की झूमने लगे।
झूमते  हम  ऐसे  जैसे  पी  ली  चर्स  है ।।

गुजरा हुआ साल तो ख़्वाब था ।

गुजरा     हुआ     साल     तो     ख़्वाब     था ।
नये   साल   के   इंतज़ार    में   दिल   बेताब   था ।।
नये     साल     की     हक़ीक़त     हो     ऐसी ।
तुम निकलो जिधर से लोग समझें कोई महताब था ।।

गुरुवार, 1 जनवरी 2015

हँसकर के पन्द्रह तेरा स्वागत किया है ।

रोकर  के  चौदह  को  रुख़सत  किया  है ।
हँसकर के पन्द्रह तेरा  स्वागत किया है ।।
तहे  दिल से उसको  भी  शुभकामना दी ।
साल भर जिसने मुझसे नफ़रत किया है ।।
नये  साल तू  उसके अरमान  पूरे करना ।
जिसने मुझसे कभी  मोहब्बत  किया है ।।
मेरे  अपनों  को  तू   कभी  रुलाना  नहीं ।
तुझसे यही आरज़ू और हसरत किया है ।।
मेरे ख़ुदा  यार से  मुझको  ऐसे मिलाना ।
जैसे पानी और चीनी को शरबत किया है ।।

आज 2015 की ख़ुशी और 2014 की है कश्मकश ।

आज   2015   की   ख़ुशी  और  2014   की   है   कश्मकश ।
हँसकर शुरू करो दिन साल का  ये साल भी बीते हँस - हँस ।।
जिसके साथ वक़्त गुजारो उसे भूलना आसान कहाँ होता है ।
मुश्किल हो रहा तुझे भूलना  14  तू बसा  है मेरे नस - नस ।।