बुधवार, 30 जुलाई 2014

राष्ट्र का गौरव तू वतन की जान है

राष्ट्र  का  गौरव  तू  वतन  की  जान  है ।
सरहद  पर   हुए  शहीदों   की    शान  है । 
देश  का  भविष्य  है  कंधो  पर  तुम्हारे । 
कदमों  को  बढ़ाये  जाओ  रहो न सहारे ।
कारनामो से तुम्हारी भारत की पहचान है।
राष्ट्र का गौरव तू ........
रोतों को हँसाता चल, कदमों को बढ़ाता चल ।
प्यार तू लुटाता चल, सबको अपना बनाता चल।
तू    तो    भारत    का    जवान    है ।
राष्ट्र का गौरव तू ........
लैला  से   किया  था   मंजनू   ने  प्यार ।
किया  था   बच्चों   से  नेहरू   ने  प्यार ।
दे  प्यार  जो  किसी  को  वो  इंसान  है ।
राष्ट्र का गौरव तू ........
देश  को  अपने   मै  वो   मुकाम   दूँगा ।
दुनियाँ में  इसको अलग  पहचान दूँगा ।
मेरा सागर नाम है , मेरा सागर नाम है ।
राष्ट्र  का  गौरव तू  वतन  की  जान  है । 

बुधवार, 23 जुलाई 2014

विज्ञान से जिसको प्यार हुआ ।

विज्ञान  से जिसको प्यार हुआ ।
उसका     बेड़ा      पार     हुआ ।।
धरती    से    आकाश     तक ।
मानव   का   अधिकार   हुआ ।।
चाँद   पर   जाने   का   सपना ।
विज्ञान  के बल  साकार  हुआ ।।
बैठे   दूर    शख्श   किसी  का ।
घर      बैठे      दीदार      हुआ ।।
रीसाइकिल      के    बाद    में ।
कुछ     नया     तैयार     हुआ ।।
वैज्ञानिक    नज़र    से   देखो ।
कुछ     नहीं     बेकार     हुआ ।।
सारे    जीवों   पर   तो    देखो ।
 विज्ञान   का   उपकार   हुआ ।।

शायरी

तन्हा   तो   हैं    हम   अकेले   नहीं।
भीड़   भी   है   लेकिन   मेले   नहीं ।।
वो पहचान कर अज़नबी बनने लगे।
मेरे सामने से गुज़रे  पर बोले नहीं ।। 

शायरी

हम    अपने    मोहब्बत    की    नुमाइश    नहीं    करते।
जिस पर ऐतबार करते हैं उसकी आजमाइश नहीं करते ।।
महबूब    के     दिए     ग़म     मुझे     प्यारे    लगते   हैं।
हँसने   के  लिये   खुशियों   की   गुज़ारिश   नहीं   करते ।।

तेरी यादो को कैसे भुलाया जाये - ग़ज़ल

तुम्हारी  करतूतो  को क्या नाम दिया जाये ।
बेवफा,    फ़रेबी   या   बेहया    कहा    जाये ।।
मीठा   होता    जहर     तो   पी    लेते   हम ।
जहर   हो   तेज़ाब   तो   कैसे   पिया   जाये ।।
फक़्र   था   मुझको    जिस     मुहब्बत   पर ।
इतनी आसानी से कैसे  बदनाम किया जाये ।।
मेरी      ज़िंदगी     से     दूर     जाने     वाले ।
 तेरी    यादो    को    कैसे      भुलाया    जाये ।।
सारी   दुनियाँ    हँसती   तब   रोते   हैं   हम ।
पहले  की तरह दिल को  कैसे  हँसाया  जाये ।।
बना लिया था तुमको  हमने अपनी  ज़िंदगी ।
उस  ज़िंदगी  में और को  कैसे  बसाया जाये ।।
ख़ून    से   दामन    तेरा    भींगा   है   सागर ।
सोचा    है    अश्कों    से   ही    धोया    जाये ।।

बुधवार, 16 जुलाई 2014

मेरी ज़िन्दगी मेरा ख़ुदा भी है तूँ । ग़ज़ल

इबादत   मेरी   है   दुआ  भी  है तूँ ।।
मेरे    दर्द    की    दवा   भी   है  तूँ ।।
सुकून    मिले    गर     देखूँ    तुझे ।
इतना मैं  और कहूँ शिफ़ा भी है तूँ ।।
तुझसे जुदा  होकर  मैं  कैसे रहूँगा ।
मेरी  ज़िन्दगी मेरा ख़ुदा  भी है  तूँ ।।
तुमसे  दूर होकर  मैं  कहाँ जाऊँगा ।
मेरे   घर    का   पता   भी   है   तूँ ।।
तुम मिलोगे कभी  ऐतबार  है मुझे ।
मेरी तक़दीर  में  लिखा  भी  है  तूँ ।।
तुझको   जहाँ   में   ढूंढ़ा   जब   भी ।
हर जगह पे मुझको मिला भी है तूँ ।।
जब भी अपने दिल में झाँका हमने ।
मेरे  यार मुझको  दिखा  भी  है  तूँ ।।

वो जब से मेरा आशना हो गया। ग़ज़ल

वो   जब   से   मेरा   आशना   हो   गया ।
अपनी किस्मत पे मेरा सोचना हो गया ।।
सूरत   बसी   उसकी  आँखों  में  जब  से ।
सारी  -  सारी   रात  जागना   हो   गया ।।
हक़ीकत   में  जी  भर  के  देख  न पाया ।
ख़्वाबों  में   उसको  निहारना   हो गया ।।
करके हिम्मत फोन पे सब कुछ कह डाला ।
कह   न  पाया  जब   सामना   हो  गया ।।
वो  लड़की   मेरी   ज़िन्दगी    बन  गयी ।
हर  दुआ  में  उसी को  माँगना  हो गया ।।
कैसे  अब  चुप  रह  सकता  है   'सागर' ।
सीने  में  यादों  का  उबलना   हो  गया ।।