जब कोई धोखा देगा तुम्हें तब याद करोगी मुझे ।
अपने पराये सा सलूक करेंगे तब याद करोगी मुझे ।।
मेरे होते हुए भी तुम गैरों में मशगूल हो आज ।
मैं चला जाऊँगा जब तब याद करोगी मुझे ।।
इबादतों के बाद भी मैं लौट कर नहीं आऊँगा ।
तुम्हारे आसुँओं को मजाक बनायेंगे सभी तब याद करोगी मुझे ।।
बाकी तो भूखे शिकारी हैं यहाँ जिस्म के ।
अहसास होगा ये जिस दिन याद करोगी मुझे ।।
मैं धोखा देती रही फिर भी वो चाहता रहा मुझे ।
याद आयेगा ये जिस दिन याद करोगी मुझे ।।
कितने नादान हो तुम हीरे की परख नहीं कर पाये ।
जब फिसल जायेगा हाथों से तब याद करोगी मुझे ।।
खुद तो रोता था लेकिन मेरे हँसने की दुवा करता था ।
ख़याल आयेगा ये जिस दिन याद करोगी मुझे ।।
कभी आया था "सागर" ज़िन्दगी में ख़ुशियों का ।
याद आयेगा नाम मेरा तब याद करोगी मुझे ।।
क्या खूब याद किया और कराया आपने ,...अहा , ..उम्दा , आनंदम आनंदम ।
जवाब देंहटाएंअजय जी आपका शुक्रिया कैसे अदा करें, मेरे पास शब्द ही नहीं हैं।
हटाएंआपका लेख पढ़ कर एेसा लगा कि आपके लिखे हर ग़जल के एक एक अल्फा़ज किसी आशिक के दिल से निकली आवाज़ है|
जवाब देंहटाएंसच कहुं तो मेरे दिल को छु गया|
आप बहुत अच्छा लिखते हैं, जिसकी तारीफ के लिए मेरे सारे अल्फ़ाज कमजोर पड़ जाएंगे|
भगवान आपको और अच्छा लिखने की समझ दे, और आपको कामयाबी के सारे उंचाइंयों तक पहुंचाए, ताकि हम सभी को भी आपसे प्रेरणा मिले|
बहुत बहुत शुक्रि़या सागर साहब... आपका नाम सागर देख कर मुझे सचमुच RISHI KAPOOR की एक मुवी Sajan ki bahon me की याद आ गई, जिसमें Rishi Kapoor सागर साहब की भुमिका में हैं|
एम. आफताब साज़ी जी मैं आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। देरी के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।
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