गुरुवार, 27 नवंबर 2014

हमने ज़िन्दगी अपनी उसको समझा ।

चित्र  स्रोत :- गूगल
हमने उससे मोहब्बत की जिसके पास दिल नहीं था ।
ऐसे  दरिया  में  कूंदे  जिसका  साहिल  नहीं  था ।।
हमने     ज़िन्दगी     अपनी     उसको     समझा ।
जिसका    प्यार   भी   मुझे  हासिल   नहीं   था ।।
यह     सोचकर    उसने     मुझे    ठुकरा    दिया ।
उन्हें   लगा   की   मैं   उनके   क़ाबिल   नहीं  था ।।
मेरी नादान  मोहब्बत ने  उसे ख़ुदा  समझ लिया ।
जो   ख़ुदा   तो  दूर  खुद  का  कामिल   नहीं  था ।।
अगर   थी   मेरी   गलती   तो   बस   इतनी   थी ।
मैं  बेवफाओं  की  लिस्ट   में  शामिल  नहीं  था ।।
उस   पर   इल्ज़ाम   क्यों   लगाते   हो   "सागर" ।
वो    महबूब    था    तेरा    क़ातिल    नहीं    था ।।

बुधवार, 26 नवंबर 2014

मुझे अपनी ख़बर नहीं है दुनियाँ का क्या पता ।
दिल ने किया है प्यार इसमें मेरी खता है क्या ।।
मुझे  तुमने  दिया है  धोखा  न  सोचना  कभी ।
हम तुमसे करें क्यों नफ़रत है जब जीस्त बेवफ़ा ।।
मुझको मिला नहीं वो  किस्मत में  जो नहीं  था ।
मुझे मिलता प्यार तुम्हारा होता तक़दीर में लिखा ।।
मालूम है मुझको अपना  तुमने  समझा ही नहीं ।
फिर   भी   मेरा   दिल   तुमसे   करता  है  वफ़ा ।।
रोकर  भी   हँस  लूँगा   मैं   ख़ुश   देखकर  तुम्हें ।
है    दुवा    हमारी    ख़ुश    रहो    तुम    सदा ।।

रविवार, 23 नवंबर 2014

प्यार खुदा से मिलने की तरक़ीब है।

चित्र स्रोत :- गूगल,

मोहब्बत  का  दर्द  भी  कितना अजीब  है ।
ये  दर्द  मिले  जिसको वो  ख़ुशनसीब  है ।।
इश्क   बिना   कोई   जियेगा   किस  तरह ।
जो   दिलवाला   है   वो  रब  के  करीब  है ।।
हिम्मत नहीं है मुझमें  माँगू  खुदा से कैसे ।
नहीं देगा  मुझे सनम मेरा  खुदा  रक़ीब है ।।
दिल तोड़ने वाले ज्यादा हैं जोड़ने वाले कम ।
टूटे  जो  दिल  को  जोड़े  वो  तो  हबीब  है ।।
दौलत  नहीं  है  लेकिन  जो  प्यार  बाँटता ।
बड़ा   है  दिल   जिसका   न   वो  ग़रीब  है ।।
ख़ुदा को चाहने वाले ही  प्यार किया करते ।
प्यार   खुदा   से  मिलने  की   तरक़ीब  है ।।

शनिवार, 22 नवंबर 2014

फिर भी हमारे ज़ख्म तो हँसते रहे ।

सोचा   नहीं   कुछ   बस   उन्हें   चाहते   रहे ।
झूठे    सपनों   में   वो    हमारे   आते   रहे ।।
कितना पत्थर है वो जो हमारी याद न आयी।
उनके   इन्तज़ार  में  हम  राह  ताकते  रहे ।।
खुदा भी बहरा हो गया मेरी फ़रियाद न सुनी ।
हर   फ़रियाद   में   हम   उन्हें   माँगते   रहे ।।
सदियों के बाद आये जब किसी की तलाश में ।
मंजिल  का  तो  पता  नहीं   बस  रास्ते  रहे ।।
हक़ीक़त  तो ये  है कि वो  भी हमें चाहती थी ।
मगर उसके लवों से यह सुनने को तरसते रहे ।।
फ़िराक  का  हर एक  पल  हमें दर्द  देता  रहा ।
फिर   भी    हमारे    ज़ख्म   तो   हँसते   रहे ।।
यादों   को   उनकी    हमने    महफूज़   रखा ।
अरमानों   के   महल   दिल   में   बनाते   रहे ।।

मंगलवार, 18 नवंबर 2014

कर लो किसी से प्रेम ।

दर्द    हो    तो    दवा   मिल    जायेगी ।
महसूस हो घुटन तो हवा मिल जाएगी ।।
कर        लो      किसी      से      प्रेम ।
तो   जीने   की   दुआ   मिल   जायेगी ।।

वही तस्वीर तुम्हारी कितनी बार देखी।

अन्जाम - ए - मोहब्बत से  दिल  नहीं  डरता ।
ऐसा कोई पल नहीं जब तुझे याद नहीं करता ।।
वही   तस्वीर   तुम्हारी   कितनी   बार  देखी ।
फिर  भी  उसे  देखने   से  जी   नहीं   भरता ।।

रविवार, 16 नवंबर 2014

या मोहब्बत न हो या मजबूरी न हो ।

या  मोहब्बत  न  हो  या  मजबूरी  न  हो ।
या   अपना   न   हो    या   दूरी   न   हो ।।
हमेशा के हो सकते हैं दो प्यार करने वाले ।
शादी   में   अगर   जाति   जरुरी   न   हो ।।

शनिवार, 15 नवंबर 2014

रह नहीं सकती है लेकिन हमसे रिश्ता तोड़कर ।

जाती  तो  है  हमको  वो  अकेले  तन्हा  छोड़कर ।
मैं चिल्लाता रहता हूँ नहीं देखती चेहरा मोड़कर ।।
सोचती    है   हमसे    वो   सारे   रिश्ते   तोड़   दे ।
रह नहीं सकती है  लेकिन हमसे  रिश्ता तोड़कर ।।

गुरुवार, 13 नवंबर 2014

लाख कोशिशों बाद वो भुलाया नहीं गया।।

चित्र स्रोत - गूगल
इतिहास    हमसे    मिटाया    नहीं    गया ।
उसकी यादों का कागज़ जलाया नहीं गया।।
उसने  तो  भुला   दिया  आसानी  से  मुझे ।
लाख  कोशिशों बाद वो भुलाया नहीं गया।।
क्या   निभाते   वो   साथ    ज़िन्दगी   का ।
जिनसे  एक वादा भी  निभाया  नहीं गया ।।
हम तो कन्धों पे लिए फिरते हैं दर्द ज़माने का ।
एक ज़नाज़ा भी मेरा उनसे उठाया नहीं गया ।।
मेरे    चाहत    की    ये    तासीर    थी    जो ।
उसपे इल्ज़ाम बेवफ़ा का लगाया नहीं गया ।।
उनसे तुम  क्या उम्मीद करते हो  "सागर" ।
जिनसे  दुआ में भी हाथ  उठाया नहीं गया ।।


मंगलवार, 11 नवंबर 2014

फिर भी बेसब्री से तेरा इंतज़ार करते हैं ।

छोड़कर दुनियाँ को सारी तुमसे प्यार करते हैं ।
बंद   नज़रों   से   भी   तेरा   दीदार   करते  हैं ।।
मालूम   है   हमको  तू  नहीं  मिलेंगी  मुझको ।
फिर   भी  बेसब्री  से  तेरा   इंतज़ार  करते  हैं ।।

शनिवार, 8 नवंबर 2014

तेरी इनायत के तलबगार हो गये ।

चित्र स्रोत - गूगल
तेरी  इनायत  के  तलबगार  हो  गये ।
जब से तुम्हारे हम  सरकार हो गये ।।
तुमने तो हमको समझा नहीं अपना ।
औरों  के  लिए  हम  बेकार  हो  गये ।।
दोस्त की ज़िन्दगी ज़िल्लत में डालते ।
ऐसे   तो   ज़माने   में  यार   हो  गये ।।
जाने   से   उनके   ये   फायदा   हुआ ।
टुकड़े   तो   दिल  के   हजार  हो  गये ।।
करते जो याद हमको मिलने कभी आते ।
कितने साल करते इन्तजार हो गये ।।
नजरों   के  नज़ारों  में   नजर  आते ।
जब   से  उनसे  नैना  चार  हो  गए ।
जिन  शब्दों से पहले  बरसते थे  फूल ।
वही  लफ्ज़  अब  तो  कटार  हो  गये ।।
चलती है साँस मेरे जीवन की आखिरी ।
खोखला है दिल जखम अपार हो गये ।।
जब  से तुम्हारे  हम दिलदार  हो गये ।।

गुरुवार, 6 नवंबर 2014

अमीरों ने उड़ायी हँसी मेरी मुफ़लिसी की ।

अमीरों ने उड़ायी  हँसी  मेरी मुफ़लिसी की ।
ख़ुदा   ने   दी  सजा  मुझे   मुफ़लिसी   की ।
रोयें क्यों न हम अपनी  तक़दीर पर सागर ।
वो बेवफ़ा निकले जिसने मुझसे दोस्ती की ।।

जोड़ते न दिल तो टूटा न होता ।



चित्र स्रोत - गूगल


जोड़ते   न   दिल  तो  टूटा  न   होता ।
पकड़ते  न दामन तो  छूटा  न होता ।।
तक़दीर    मेरी    गर   अमीर    होती ।
सारी दुनियाँ की मुझपे जागीर होती ।।
तो  मेरा  यार  मुझसे  रूठा  न  होता ।
जोड़ते  न  दिल   तो  टूटा  न  होता ।।
अपने  महबूब  से  न कोई  दूर होता ।
शीशे जैसा  दिल था न वो चूर होता ।।
दीवानों से काम कोई अनूठा न होता ।
जोड़ते  न  दिल  तो  टूटा  न  होता ।।
गर किसी  पर भी न  ऐतबार  करते ।
तन्हा  रह  लेते  यूँ  न प्यार  करते ।।
तो मेरा घर अपनों  ने लूटा  न होता ।
जोड़ते  न  दिल  तो  टूटा  न  होता ।।
पकड़ते  न दामन तो  छूटा  न होता ।।

बुधवार, 5 नवंबर 2014

भले ही तुम हमसे दूर हो जाओ ।।

अँधेरा न आये ज़िन्दगी में कभी तुम नूर हो जाओ ।
संसार क्या है चीज  तुम ज़न्नत  के हूर हो जाओ ।।
हर  पल   ख़ुशी  की  तुम्हारी   कामना   करता  हूँ ।
तुम  आँसुओ  के  सागर  से  बहुत  दूर  हो  जाओ ।।
है   दुआ  हमारी   तुम्हारी   हर   तमन्ना  हो  पूरी ।
तुम   चाहो   जो   होना   वो   जरूर   हो   जाओ ।।
तुम्हारी  सलामती  के  लिए  दुआ  करता  रहूँगा ।
भले    ही    तुम    हमसे    दूर   हो    जाओ ।।

मंगलवार, 4 नवंबर 2014

उम्मीद

किसी  फ़रेबी  से  शराफ़त  की  उम्मीद  करते  हैं ।
जिसने लूटा है हमेशा उसी से हिफाज़त की उम्मीद करते हैं ।।
जिसको   पता   नहीं   की   दर्द   क्या   होता   है ।
ऐसे  बेदर्दी  से  इनायत  की  उम्मीद  करते  हैं ।।
लगायी    हथकड़ी    हैं    हाथों    में    जिसने ।
हम  जमानत  की  उसी  से  उम्मीद  करते  हैं ।।
धोखा  दिया  है  जिसने  शराफ़त  के  नाम  पर।
हम उस बेवफा से मोहब्बत की उम्मीद करते हैं ।।
क़यामत आयेगी उसकी डोली उठेगी जिस दिन ।
फिर भी न आये  क़यामत  ये  उम्मीद  करते हैं ।।

रविवार, 2 नवंबर 2014

दुनियाँ के सामने मैं रो नहीं सकता ।।

तुमको भूल  जाऊँ  ये  हो  नहीं सकता ।
पा लिया है तुमको मैं खो नहीं सकता ।।
दर्द कितना भी हो मेरे नादान दिल को ।
दुनियाँ के  सामने  मैं  रो नहीं सकता ।।

शनिवार, 1 नवंबर 2014

करो मोहब्बत यदि बगावत की ताक़त हो ।

करो मोहब्बत यदि बगावत की ताक़त हो ।
बनाओ बुत को यदि इबादत की ताकत हो ।।
बड़े आराम से कह दिया की हम तुम्हारे हैं ।
हमदर्द बनो  यदि इनायत  की  ताकत हो ।।
यूँ  हर  एक  को  निशाना  बनाया  न  करो ।
तीर -ए- नज़र चलाओ यदि आहत की ताकत हो ।।
ज़ख़्मी  करके  छोड़ना  इन्सानियत  नहीं ।
ख़ून -ए- जिगर करो यदि राहत की ताकत हो ।।
ऐतबार   न   हो  तो   अपना  मत  कहना ।
भरोसा करो यदि जमानत  की ताकत हो ।।
कोई   अच्छा  लगे  ये  अच्छी  बात  नहीं ।
किसी को चाहो यदि चाहत की ताकत हो ।।

दर्द क्यों महसूस करते हो 'सागर' ?

उसके जाने पर दर्द क्यों महसूस करते हो 'सागर' ?
तुम्हें तो तन्हाई में भी जीने का सलीका आता है ।।