मैं हो गया मुरीद उसकी चाल ढाल का ।
जिसने किया समर्थन जन लोकपाल का ।।
कुरीतियों की बेटी जब निवाला बनी ।
इतिहास है गवाह कई मलाला बनी ।।
दास्तान बेटी की बन चिन्तक जो पढ़ते ।
बेजुबान पौधे और हर्फ़ रो पड़ते ।।
भ्रष्ट नेताओं ने मजबूर कर दिया ।
स्वाभिमान को उसके चूर कर दिया ।।
मैं सुना रहा हूँ किस्सा दुर्गा नागपाल का ।
मैं हो गया मुरीद उसकी चाल ढाल का ।।
उसे याद नहीं करता पर भूलता नहीं ।
मैं झूला भी उसके बिना झूलता नहीं ।।
हर अंदाज़ उसका है सबसे ज़ुदा ।
एक तरफ़ है यार मेरा एक तरफ़ ख़ुदा ।।
प्यार न करो किसी से सोच कर नफ़ा ।
बेवफ़ा है यार लेकिन नहीं है ख़फा ।।
ख़बर लेता आज भी वो मेरे हाल का ।
मैं हो गया मुरीद उसकी चाल ढाल का ।।
मन में षणयन्त्र और आँखों में नफ़रत ।
जाने क्यों बदल गयी अब आदमी की फ़ितरत।।
हर दिन एक नया इतिहास लिखता है ।
लोगों को लगता कि सब कुछ बिकता है ।।
समय गुज़र जाता पर सोच नहीं बदलती ।
समझे क्या दर्द वो जिस पर नहीं गुज़रती ।।
है दोहराता आदमी सब बीते साल का ।
मैं हो गया मुरीद उसकी चाल ढाल का ।।
जिसने किया समर्थन जन लोकपाल का ।।
कुरीतियों की बेटी जब निवाला बनी ।
इतिहास है गवाह कई मलाला बनी ।।
दास्तान बेटी की बन चिन्तक जो पढ़ते ।
बेजुबान पौधे और हर्फ़ रो पड़ते ।।
भ्रष्ट नेताओं ने मजबूर कर दिया ।
स्वाभिमान को उसके चूर कर दिया ।।
मैं सुना रहा हूँ किस्सा दुर्गा नागपाल का ।
मैं हो गया मुरीद उसकी चाल ढाल का ।।
उसे याद नहीं करता पर भूलता नहीं ।
मैं झूला भी उसके बिना झूलता नहीं ।।
हर अंदाज़ उसका है सबसे ज़ुदा ।
एक तरफ़ है यार मेरा एक तरफ़ ख़ुदा ।।
प्यार न करो किसी से सोच कर नफ़ा ।
बेवफ़ा है यार लेकिन नहीं है ख़फा ।।
ख़बर लेता आज भी वो मेरे हाल का ।
मैं हो गया मुरीद उसकी चाल ढाल का ।।
मन में षणयन्त्र और आँखों में नफ़रत ।
जाने क्यों बदल गयी अब आदमी की फ़ितरत।।
हर दिन एक नया इतिहास लिखता है ।
लोगों को लगता कि सब कुछ बिकता है ।।
समय गुज़र जाता पर सोच नहीं बदलती ।
समझे क्या दर्द वो जिस पर नहीं गुज़रती ।।
है दोहराता आदमी सब बीते साल का ।
मैं हो गया मुरीद उसकी चाल ढाल का ।।