सोमवार, 11 दिसंबर 2017

मैं हो गया मुरीद उसकी चाल ढाल का

मैं हो गया मुरीद  उसकी चाल ढाल का ।
जिसने किया समर्थन जन लोकपाल का ।।
कुरीतियों  की  बेटी  जब  निवाला  बनी ।
इतिहास   है  गवाह  कई  मलाला  बनी ।।
दास्तान बेटी की  बन चिन्तक जो पढ़ते ।
बेजुबान   पौधे    और   हर्फ़  रो   पड़ते ।।
भ्रष्ट   नेताओं   ने   मजबूर   कर   दिया ।
स्वाभिमान  को  उसके  चूर  कर  दिया ।।
मैं सुना रहा हूँ किस्सा दुर्गा नागपाल का ।
मैं हो गया  मुरीद उसकी चाल ढाल का ।।
उसे याद नहीं  करता  पर  भूलता  नहीं ।
मैं  झूला  भी  उसके  बिना  झूलता नहीं ।।
हर  अंदाज़   उसका   है   सबसे   ज़ुदा ।
एक तरफ़ है यार मेरा  एक तरफ़ ख़ुदा ।।
प्यार न करो  किसी  से सोच कर नफ़ा ।
बेवफ़ा  है  यार  लेकिन  नहीं  है  ख़फा ।।
ख़बर लेता आज  भी  वो  मेरे  हाल का ।
मैं हो गया मुरीद उसकी चाल ढाल का ।।
मन  में  षणयन्त्र और आँखों में नफ़रत ।
जाने क्यों बदल गयी अब आदमी की फ़ितरत।।
हर दिन एक  नया  इतिहास  लिखता है ।
लोगों को लगता कि सब कुछ बिकता है ।।
समय गुज़र जाता पर सोच नहीं बदलती ।
समझे क्या दर्द वो जिस पर नहीं गुज़रती ।।
है दोहराता  आदमी  सब बीते  साल का ।
मैं  हो  गया मुरीद उसकी चाल ढाल का ।।

शुक्रवार, 28 अप्रैल 2017

मेरा नहीं तुम्हें था गैरों के खोने का ग़म ।

मेरा  नहीं  तुम्हें   था   गैरों  के  खोने  का  ग़म ।
शायद  मेरा  प्यार   कहीं   पड़  गया  है  कम ।।
देखा  तुझे   रोमांस  करते   गैरों  के  साथ  में ।
नशें फटीं, उबाल आया, हुआ ख़ून मेरा गरम ।।
ज़िस्म   तुम्हारा   है   या   कोई   धरम   शाला ।
कितनी  बेशरम  हो  तुम्हें  आती  नहीं  शरम ।।
मैं बुरा बन गया हूँ  तेरा ऐतबार करते - करते ।
ये  सपना  रह  गया अब  बहुत  अच्छे  थे हम ।।
ज़िन्दगी   से    तुम्हारी   गर    मैं   चला   गया ।
करके  याद  हमको  तुम  रोते रहोगे  हरदम ।।
तुम  जान  हमारी  थीं   तुम  जान  हमारी  हो ।
मुझे लगता बुरा बहुत है  ये सब छोड़ो सनम ।।