मेरा  नहीं  तुम्हें   था   गैरों  के  खोने  का  ग़म ।
शायद  मेरा  प्यार   कहीं   पड़  गया  है  कम ।।देखा तुझे रोमांस करते गैरों के साथ में ।
नशें फटीं, उबाल आया, हुआ ख़ून मेरा गरम ।।
ज़िस्म तुम्हारा है या कोई धरम शाला ।
कितनी बेशरम हो तुम्हें आती नहीं शरम ।।
मैं बुरा बन गया हूँ तेरा ऐतबार करते - करते ।
ये सपना रह गया अब बहुत अच्छे थे हम ।।
ज़िन्दगी से तुम्हारी गर मैं चला गया ।
करके याद हमको तुम रोते रहोगे हरदम ।।
तुम जान हमारी थीं तुम जान हमारी हो ।
मुझे लगता बुरा बहुत है ये सब छोड़ो सनम ।।
 
 
आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंबहुत - बहुत धन्यवाद कविता जी।
हटाएंWah wah bahut khoob
जवाब देंहटाएंWah wah bahut khoob
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