निकल गया वो ज़माना जब तुम्हारा सज़दा करते थे ।
तुम भी नहीं थे बेवफ़ा तब हमसे वफ़ा करते थे ।।
जुदाई का हर लम्हा गुज़रता था तेरी इबादत में ।
तुम ख़ुश रहना हमेशा बस इतनी दुवा करते थे ।।
तड़पता था तेरी याद में जब बेबस हमारा दिल ।
नाम तुम्हारा लिखकर चूम लिया करते थे ।।
ज़िन्दगी में मेरे क्या थी अहमियत तेरी ।
जब दर्द होता था तेरा नाम लिया करते थे ।।
मेरी ज़िन्दगी को रोशन तुम करते थे दीप बनकर ।
अँधेरों में भी तुझको पहचान लिया करते थे ।।
कैसे करूँ यक़ीन मैं तेरी सादगी का फिर से ।
तुम भरोसे का मेरे क़त्लेआम किया करते थे ।।
तुम भी नहीं थे बेवफ़ा तब हमसे वफ़ा करते थे ।।
जुदाई का हर लम्हा गुज़रता था तेरी इबादत में ।
तुम ख़ुश रहना हमेशा बस इतनी दुवा करते थे ।।
तड़पता था तेरी याद में जब बेबस हमारा दिल ।
नाम तुम्हारा लिखकर चूम लिया करते थे ।।
ज़िन्दगी में मेरे क्या थी अहमियत तेरी ।
जब दर्द होता था तेरा नाम लिया करते थे ।।
मेरी ज़िन्दगी को रोशन तुम करते थे दीप बनकर ।
अँधेरों में भी तुझको पहचान लिया करते थे ।।
कैसे करूँ यक़ीन मैं तेरी सादगी का फिर से ।
तुम भरोसे का मेरे क़त्लेआम किया करते थे ।।
बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुशील जी
हटाएंशुक्रिया अवधेश जी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया हरशिता जी
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