आती है याद तेरी ओ बेवफा ।
जाती है जान मेरी ओ बेवफा ।।
पूछते हैं दिल के टुकड़े बता दो मुझे ।
धोखा मुझे दिया तूने क्यों बेवफ़ा ।।
अभी चलती है धड़कन न छोड़ जाओ तुम ।
हम मर जायें बिना दीद के न दो ये सज़ा ।।
कर पाया न ठीक डॉक्टर ने मुझे ।
दो दर्शन मुझे तो मिल जायेगी शिफ़ा ।।
ख़ुदा का उठे हाथ हिफाज़त में तेरे ।
की आरज़ू हमने कितने दफ़ा ।।
जाती है जान मेरी ओ बेवफा ।।
पूछते हैं दिल के टुकड़े बता दो मुझे ।
धोखा मुझे दिया तूने क्यों बेवफ़ा ।।
अभी चलती है धड़कन न छोड़ जाओ तुम ।
हम मर जायें बिना दीद के न दो ये सज़ा ।।
कर पाया न ठीक डॉक्टर ने मुझे ।
दो दर्शन मुझे तो मिल जायेगी शिफ़ा ।।
ख़ुदा का उठे हाथ हिफाज़त में तेरे ।
की आरज़ू हमने कितने दफ़ा ।।
ये अदा है हसीनों की बेवफाई नहीं ...
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