सोमवार, 6 अप्रैल 2015

आसमान का सीना चीर के आता प्रकाश है ।

आसमान   का   सीना   चीर   के   आता   प्रकाश   है ।
धरती    के    ऊपर     साया    करता    आकाश    है ।।
कभी भौतिकी कभी जैविकी, रसायन में उपयोग हुआ ।
विज्ञान  की  हर  शाखा  में  प्रकाश  का प्रयोग  हुआ ।।
विज्ञान  के  इमारत  की  नींव  का  नाम   प्रकाश  है ।
धरती    के    ऊपर    साया     करता    आकाश    है ।।
प्रकाश   संश्लेषण   करके   भोजन  पौधे   बनाते  हैं ।
पृथ्वी   के   प्राणी    सारे    वही   भोजन    खाते   हैं ।।
जितना जरूरी  ऑक्सी  पानी  उतना  ही  प्रकाश  है ।
धरती    के   ऊपर    साया     करता     आकाश   है ।।
सब   कुछ  काला   होता   हर  तरफ़   अँधेरा   होता ।
उम्मीद   किरण   न   होती  न   कभी  सवेरा  होता ।।
ख़ूबसूरती    तब   तक   है   जब    तक   प्रकाश   है ।
धरती     के    ऊपर    साया    करता    आकाश   है ।।
तुम   ज़िन्दगी  को   अपनी   विज्ञानमय   कर  लो ।
छोड़ो  अन्धविश्वास  जीवन  प्रकाशमय   कर  लो ।।
 "सागर" तो गुज़ारिश करता "पी वी एस" प्रयास है ।
धरती    के    ऊपर    साया    करता    आकाश   है ।।

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