चित्र स्रोत - गूगल |
आशियाना न बना गर तेरी गली में ।
क़ब्र के लिए जगह मिले तेरी गली में ।।
होगा दीदार तुम्हारा किसी बहाने से ।
सोचकर आशिक़ भटकता तेरी गली में ।।
घर का तेरे पता मालूम नहीं फ़िर भी ।
मंजिल मिलेगी हमको तेरी गली में ।।
ख़ुदा के दर पे फ़रियाद क्या करें ।
हमको नज़र आती ज़न्नत तेरी गली में ।।
न मक्का न मदीना न काशी की ख़्वाहिश है ।
निकले हमारी जान भी तेरी गली में ।।
Very nice
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