तुम्हारी करतूतो को क्या नाम दिया जाये ।
बेवफा, फ़रेबी या बेहया कहा जाये ।।
मीठा होता जहर तो पी लेते हम ।
जहर हो तेज़ाब तो कैसे पिया जाये ।।
फक़्र था मुझको जिस मुहब्बत पर ।
इतनी आसानी से कैसे बदनाम किया जाये ।।
मेरी ज़िंदगी से दूर जाने वाले ।
तेरी यादो को कैसे भुलाया जाये ।।
सारी दुनियाँ हँसती तब रोते हैं हम ।
पहले की तरह दिल को कैसे हँसाया जाये ।।
बना लिया था तुमको हमने अपनी ज़िंदगी ।
उस ज़िंदगी में और को कैसे बसाया जाये ।।
ख़ून से दामन तेरा भींगा है सागर ।
सोचा है अश्कों से ही धोया जाये ।।
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