इबादत मेरी है दुआ भी है तूँ ।।
मेरे दर्द की दवा भी है तूँ ।।
सुकून मिले गर देखूँ तुझे ।
इतना मैं और कहूँ शिफ़ा भी है तूँ ।।
तुझसे जुदा होकर मैं कैसे रहूँगा ।
मेरी ज़िन्दगी मेरा ख़ुदा भी है तूँ ।।
तुमसे दूर होकर मैं कहाँ जाऊँगा ।
मेरे घर का पता भी है तूँ ।।
तुम मिलोगे कभी ऐतबार है मुझे ।
मेरी तक़दीर में लिखा भी है तूँ ।।
तुझको जहाँ में ढूंढ़ा जब भी ।
हर जगह पे मुझको मिला भी है तूँ ।।
जब भी अपने दिल में झाँका हमने ।
मेरे यार मुझको दिखा भी है तूँ ।।
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