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चित्र स्रोत - गूगल |
तुझे मेरे आँसुओं की कसम ।
मुझे माफ़ कर दो ओ सनम ।।
कभी दिल न दुखाऊँगा वादा मेरा ।
मुझे तेरे गेसुओं की कसम ।।
जल्दी आता समझ नहीं नादान हूँ ।
मैं कैसा भी हूँ लेकिन दिल है नरम ।।
मैं कितना हूँ ढीठ तुम सोचो भले ।
तुमने ही बनाया मुझे बेशरम ।।
अलग तुमसे रहूँ न ऐसी देना सजा ।
तुम्हारे बिना नहीं रह सकते हम ।।
तुमने ही कहा था ज़रा याद करो ।
छोड़कर के तुम्हें नहीं जायेंगे हम ।।
वाह ... क्या बात है इन मस्त मस्त शेरों की ... मज़ा आया ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (28-10-2014) को "माँ का आँचल प्यार भरा" (चर्चा मंच-1780) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
छठ पूजा की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
दिगम्बर जी और रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी आपको मेरा सादर नमस्कार। बहुत बहुत धन्यवाद ब्लॉग विजिट और कमेंट करने के लिए।
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ! शिवनाथ जी
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