MERI SOCH MERI MANJIL
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गुरुवार, 30 अक्तूबर 2014
शौक था रुलाने का
शौक था रुलाने का तो इतना हँसाया क्यों ?
नहीं करना था प्यार तो अहसास दिलाया क्यों ?
आये तो थे तुम मेरी ज़िंदगी में बिना बताये।
जब तुझे जाना ही था छोड़कर तो बताया क्यों ?
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