गुजरा हुआ साल तो ख़्वाब था ।
नये साल के इंतज़ार में दिल बेताब था ।।
नये साल की हक़ीक़त हो ऐसी ।
तुम निकलो जिधर से लोग समझें कोई महताब था ।।
नये साल के इंतज़ार में दिल बेताब था ।।
नये साल की हक़ीक़त हो ऐसी ।
तुम निकलो जिधर से लोग समझें कोई महताब था ।।
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