दुश्मन तो मुल्क पे वार कर रहा ।
देखो हमारा भारत श्रंगार कर रहा ।।
इस मुल्क का हर बच्चा ऐसा काम करेगा ।
विश्व में भारत का नाम करेगा ।।
आने वाले कल का इन्तज़ार कर रहा ।
देखो हमारा भारत श्रंगार कर रहा ।।
सोने की चिड़िया की रखना तुम निगरानी ।
इस काम के लिए चाहे हो जाये क़ुर्बानी ।।
दुश्मन तो सीमा मुल्क़ की पार कर रहा ।
देखो हमारा भारत श्रंगार कर रहा ।।
झुकने को पाकिस्तान को मज़बूर कर देना ।
शीशे की तरह इसको चकनाचूर कर देना ।।
बेशरम तो भारत से टकरार कर रहा ।
देखो हमारा भारत श्रंगार कर रहा ।।
भारत के वीर मौत से डरते नहीं है ।
मर जायें चाहे फिर भी ये मरते नहीं हैं ।।
भारत का हर इन्सां मौत से प्यार कर रहा ।
देखो हमारा भारत श्रंगार कर रहा ।।
शहीदों के लिए तिरंगा है कपड़ा कफ़न का ।
बागियों ने देखा जो सपना वतन का ।।
आज़ाद हिन्द सपना साकार कर रहा ।
देखो हमारा भारत श्रंगार कर रहा ।।
शहीदों की याद जब आती ज़िन्दगानी ।
दिल से दुवा निकलती आँखों से गिरता पानी ।।
शहीदों को नमन "सागर" बारम्बार कर रहा ।
देखो हमारा भारत श्रंगार कर रहा ।।
मात्री भूमि के चरणों में सुन्दर ओजस्वी रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव ...
जय हिंद दिगम्बर जी !
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