वक़्त के साथ में क्या - क्या बदल गया ।
हम वही तुम वही बस वक़्त बदल गया ।।
बेदर्द इस ज़माने में ज़िन्दा वही रहा ।
वक़्त से पहले जो भी सँभल गया ।।
ऐतबार नहीं मुझको अब रहा किसी पे ।
धोखा दिया उसने जो ज़िन्दगी बदल गया ।।
कुछ नहीं है दुनियाँ में बस वक़्त का है खेल ।
हाथ कुछ नहीं आयेगा गर वक़्त निकल गया ।।
गुलशन में क्यों ढूंढ़ते अब कलियों की रानी ।
जब से आयी बहार हर फूल खिल गया ।।
क्यों हो रहे उदास तुम इस तरह से "सागर" ?
तुम्हें तो तुम्हारा महबूब मिल गया ।।
हम वही तुम वही बस वक़्त बदल गया ।।
बेदर्द इस ज़माने में ज़िन्दा वही रहा ।
वक़्त से पहले जो भी सँभल गया ।।
ऐतबार नहीं मुझको अब रहा किसी पे ।
धोखा दिया उसने जो ज़िन्दगी बदल गया ।।
कुछ नहीं है दुनियाँ में बस वक़्त का है खेल ।
हाथ कुछ नहीं आयेगा गर वक़्त निकल गया ।।
गुलशन में क्यों ढूंढ़ते अब कलियों की रानी ।
जब से आयी बहार हर फूल खिल गया ।।
क्यों हो रहे उदास तुम इस तरह से "सागर" ?
तुम्हें तो तुम्हारा महबूब मिल गया ।।
बहुत खूब ... सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार !
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