गुरुवार, 6 नवंबर 2014

अमीरों ने उड़ायी हँसी मेरी मुफ़लिसी की ।

अमीरों ने उड़ायी  हँसी  मेरी मुफ़लिसी की ।
ख़ुदा   ने   दी  सजा  मुझे   मुफ़लिसी   की ।
रोयें क्यों न हम अपनी  तक़दीर पर सागर ।
वो बेवफ़ा निकले जिसने मुझसे दोस्ती की ।।

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