मुझे अपनी ख़बर नहीं है दुनियाँ का क्या पता ।
दिल ने किया है प्यार इसमें मेरी खता है क्या ।।
मुझे तुमने दिया है धोखा न सोचना कभी ।
हम तुमसे करें क्यों नफ़रत है जब जीस्त बेवफ़ा ।।
मुझको मिला नहीं वो किस्मत में जो नहीं था ।
मुझे मिलता प्यार तुम्हारा होता तक़दीर में लिखा ।।
मालूम है मुझको अपना तुमने समझा ही नहीं ।
फिर भी मेरा दिल तुमसे करता है वफ़ा ।।
रोकर भी हँस लूँगा मैं ख़ुश देखकर तुम्हें ।
है दुवा हमारी ख़ुश रहो तुम सदा ।।
दिल ने किया है प्यार इसमें मेरी खता है क्या ।।
मुझे तुमने दिया है धोखा न सोचना कभी ।
हम तुमसे करें क्यों नफ़रत है जब जीस्त बेवफ़ा ।।
मुझको मिला नहीं वो किस्मत में जो नहीं था ।
मुझे मिलता प्यार तुम्हारा होता तक़दीर में लिखा ।।
मालूम है मुझको अपना तुमने समझा ही नहीं ।
फिर भी मेरा दिल तुमसे करता है वफ़ा ।।
रोकर भी हँस लूँगा मैं ख़ुश देखकर तुम्हें ।
है दुवा हमारी ख़ुश रहो तुम सदा ।।
बहुत ही सशक्त और प्रभावशाली रचना, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंसंजय जी मैं आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।
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