चित्र स्रोत - गूगल |
तेरी इनायत के तलबगार हो गये ।
जब से तुम्हारे हम सरकार हो गये ।।
तुमने तो हमको समझा नहीं अपना ।
औरों के लिए हम बेकार हो गये ।।
दोस्त की ज़िन्दगी ज़िल्लत में डालते ।
ऐसे तो ज़माने में यार हो गये ।।
जाने से उनके ये फायदा हुआ ।
टुकड़े तो दिल के हजार हो गये ।।
करते जो याद हमको मिलने कभी आते ।
कितने साल करते इन्तजार हो गये ।।
नजरों के नज़ारों में नजर आते ।
जब से उनसे नैना चार हो गए ।।
जिन शब्दों से पहले बरसते थे फूल ।
वही लफ्ज़ अब तो कटार हो गये ।।
चलती है साँस मेरे जीवन की आखिरी ।
खोखला है दिल जखम अपार हो गये ।।
जब से तुम्हारे हम दिलदार हो गये ।।
बढ़िया..
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
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