करो मोहब्बत यदि बगावत की ताक़त हो ।
बनाओ बुत को यदि इबादत की ताकत हो ।।
बड़े आराम से कह दिया की हम तुम्हारे हैं ।
हमदर्द बनो यदि इनायत की ताकत हो ।।
यूँ हर एक को निशाना बनाया न करो ।
तीर -ए- नज़र चलाओ यदि आहत की ताकत हो ।।
ज़ख़्मी करके छोड़ना इन्सानियत नहीं ।
ख़ून -ए- जिगर करो यदि राहत की ताकत हो ।।
ऐतबार न हो तो अपना मत कहना ।
भरोसा करो यदि जमानत की ताकत हो ।।
कोई अच्छा लगे ये अच्छी बात नहीं ।
किसी को चाहो यदि चाहत की ताकत हो ।।
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