ज़िन्दगी में दर्द कितना आज हमने जाना है ।
दिया उसने दर्द जिसको अपना हमने माना है ।।
दर्द के काफिलों ने आहत किया ज़िन्दगी को ।
लगाया गले से फिर मौत ने ज़िन्दगी को ।।
मौत से तो ज़िन्दगी का रिश्ता पुराना है ।
ज़िन्दगी में दर्द कितना आज हमने जाना है ।।
दर्द में अकेले लहद में अकेले ।
आना है अकेले जाना भी अकेले ।।
देंगे साथ हमसफ़र ये तो एक बहाना है ।
ज़िन्दगी में दर्द कितना आज हमने जाना है ।।
ज़िन्दगी जीने का अब नहीं इरादा ।
करके आये खुदा से हम एक वादा ।।
वादा हमको अपना निभाना है ।
ज़िन्दगी में दर्द कितना आज हमने जाना है ।।
भटकते हुए को मिल जाये कारवाँ ।
फँस जाये पेड़ पर या हासिल करे आसमां ।।
टूटी पतंग का न जाने क्या ठिकाना है ।
ज़िन्दगी में दर्द कितना आज हमने जाना है ।।
सोचते हैं अब उनका कौन है नया घर ।
आवाज़ दिल से क्यों निकली ये "सागर" ।।
न ही अपना वो न ही बेगाना है ।
ज़िन्दगी में दर्द कितना आज हमने जाना है ।।
दिया उसने दर्द जिसको अपना हमने माना है ।।
दर्द के काफिलों ने आहत किया ज़िन्दगी को ।
लगाया गले से फिर मौत ने ज़िन्दगी को ।।
मौत से तो ज़िन्दगी का रिश्ता पुराना है ।
ज़िन्दगी में दर्द कितना आज हमने जाना है ।।
दर्द में अकेले लहद में अकेले ।
आना है अकेले जाना भी अकेले ।।
देंगे साथ हमसफ़र ये तो एक बहाना है ।
ज़िन्दगी में दर्द कितना आज हमने जाना है ।।
ज़िन्दगी जीने का अब नहीं इरादा ।
करके आये खुदा से हम एक वादा ।।
वादा हमको अपना निभाना है ।
ज़िन्दगी में दर्द कितना आज हमने जाना है ।।
भटकते हुए को मिल जाये कारवाँ ।
फँस जाये पेड़ पर या हासिल करे आसमां ।।
टूटी पतंग का न जाने क्या ठिकाना है ।
ज़िन्दगी में दर्द कितना आज हमने जाना है ।।
सोचते हैं अब उनका कौन है नया घर ।
आवाज़ दिल से क्यों निकली ये "सागर" ।।
न ही अपना वो न ही बेगाना है ।
ज़िन्दगी में दर्द कितना आज हमने जाना है ।।
बहुत पसन्द आया
जवाब देंहटाएंहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
तहे दिल से शुक्रिया संजय जी। ऐसी कोई बात नहीं हैं, समय नहीं निकल पाता है।
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