मुझको अपना बनाकर वो जुदा हो रहे हैं ।
मेरी इबादत की वो तो दुवा हो रहे हैं ।।
वक़्त ने हमको आज कहाँ, खड़ा कर दिया ।
जिस से विदा नहीं चाहते थे अलविदा हो रहे हैं ।।
इस फ़रेबी दुनियाँ में किस पर भरोसा किया जाये ।
शराफ़त का ऐलान करने वाले बेवफ़ा हो रहे हैं ।।
इससे बड़ा दर्द और क्या मिलेगा हमको ।
वो ख़ुश हैं की हम फ़ना हो रहे हैं ।।
तेरे प्यार को ठुकराना "सागर" लाज़मी है उनका ।
सारी दुनियाँ के आशिक़ उन पर फ़िदा हो रहे हैं ।।
मेरी इबादत की वो तो दुवा हो रहे हैं ।।
वक़्त ने हमको आज कहाँ, खड़ा कर दिया ।
जिस से विदा नहीं चाहते थे अलविदा हो रहे हैं ।।
इस फ़रेबी दुनियाँ में किस पर भरोसा किया जाये ।
शराफ़त का ऐलान करने वाले बेवफ़ा हो रहे हैं ।।
इससे बड़ा दर्द और क्या मिलेगा हमको ।
वो ख़ुश हैं की हम फ़ना हो रहे हैं ।।
तेरे प्यार को ठुकराना "सागर" लाज़मी है उनका ।
सारी दुनियाँ के आशिक़ उन पर फ़िदा हो रहे हैं ।।
badhiya
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सुमन जी।
हटाएंबहुत सही
जवाब देंहटाएंधन्यवाद कमल जी।
हटाएंबहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंati sundar ghazal. mujhe bha gyi.
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