अदभुद कैलेण्डर
इस
कैलेण्डर में प्रत्येक वर्ष के महीने का केवल एक
अंक निर्धारित है। इसी अंक की सहायता से किसी भी महीने की किसी भी तारीख का दिन
ज्ञात किया जा सकता है। यह कैलेण्डर बहुत ही छोटा और सरल है।
सन्
2015 के लिये महीनों के अंक निम्न प्रकार हैं :-
महीना
|
जनवरी
|
फरवरी
|
मार्च
|
अप्रैल
|
मई
|
जून
|
जुलाई
|
अगस्त
|
सितम्बर
|
अक्टूबर
|
नवम्बर
|
दिसम्बर
|
अंक
|
3
|
6
|
6
|
2
|
4
|
0
|
2
|
5
|
1
|
3
|
6
|
1
|
कैसे करें इस कैलेण्डर का इस्तेमाल :-
अब
हम आपको इस कैलेण्डर का इस्तेमाल करना बताते हैं।
- किसी भी महीने की जिस तारीख का दिन ज्ञात करना हो उस तारीख में उस महीने का निर्धारित अंक जोड दो।
- उसके बाद जो योग आये उसी के आधार पर दिन बता दो।
- अगर योग 6 से ज्यादा आये तो उसमें 7 का भाग देंगे। जो शेष बचेगा वो सम्बंधित दिन को प्रदर्शित करेगा।
- संख्या 0 (शुन्य) – रविवार, 1 – सोमवार, 2 – मंगलवार, 3 – बुधवार, 4 – ब्रहस्पतिवार, 5 – शुक्रवार, 6 – शनिवार की धोतक है।
उदाहरण 1:-
यदि हमें 01 जनवरी 2015 का दिन ज्ञात करना हो तो हम सबसे पहले संख्या 01 में जनवरी
माह का 3 अंक जोडेंगे। इस प्रकार योग हुआ, 1 + 3 = 4 हम जानते है कि संख्या 4 ब्रहस्पतिवार को सूचित करती है। अतः 01 जनवरी 2015 को
ब्रहस्पतिवार होगा।
उदाहरण 2:- यदि हमें
15 अगस्त 2015 का दिन ज्ञात करना हो तो हम सबसे पहले संख्या 15 में अगस्त महीने का
अंक 5 जोडेंगे। इस प्रकार योग हुआ 15 + 5 = 20 यह संख्या 6 से अधिक है। इसलिए इसमें 7 का भाग देंगे। 20 ÷ 7 में शेषफल 6 बचेगा ।
संख्या 6 शनिवार की धोतक है। अतः 15 अगस्त 2015 को शनिवार होगा।
नीचे हम आपको 2015 से 2030 तक का कैलेण्डर दे रहे हैं –
सन
महीना
|
2015
|
2016
|
2017
|
2018
|
2019
|
2020
|
2021
|
2022
|
2023
|
2024
|
2025
|
2026
|
2027
|
2028
|
2029
|
2030
|
जनवरी
|
3
|
4
|
6
|
0
|
1
|
2
|
4
|
5
|
6
|
0
|
2
|
3
|
4
|
5
|
0
|
1
|
फरवरी
|
6
|
0
|
2
|
3
|
4
|
5
|
0
|
1
|
2
|
3
|
5
|
6
|
0
|
1
|
3
|
4
|
मार्च
|
6
|
1
|
2
|
3
|
4
|
6
|
0
|
1
|
2
|
4
|
5
|
6
|
0
|
2
|
3
|
4
|
अप्रैल
|
2
|
4
|
5
|
6
|
0
|
2
|
3
|
4
|
5
|
0
|
1
|
2
|
3
|
5
|
6
|
0
|
मई
|
4
|
6
|
0
|
1
|
2
|
4
|
5
|
6
|
0
|
2
|
3
|
4
|
5
|
0
|
1
|
2
|
जून
|
0
|
2
|
3
|
4
|
5
|
0
|
1
|
2
|
3
|
5
|
6
|
0
|
1
|
3
|
4
|
5
|
जुलाई
|
2
|
4
|
5
|
6
|
0
|
2
|
3
|
4
|
5
|
0
|
1
|
2
|
3
|
5
|
6
|
0
|
अगस्त
|
5
|
0
|
1
|
2
|
3
|
5
|
6
|
0
|
1
|
3
|
4
|
5
|
6
|
1
|
2
|
3
|
सितम्बर
|
1
|
3
|
4
|
5
|
6
|
1
|
2
|
3
|
4
|
6
|
0
|
1
|
2
|
4
|
5
|
6
|
अक्टूबर
|
3
|
5
|
6
|
0
|
1
|
3
|
4
|
5
|
6
|
1
|
2
|
3
|
4
|
6
|
0
|
1
|
नवम्बर
|
6
|
1
|
2
|
3
|
4
|
6
|
0
|
1
|
2
|
4
|
5
|
6
|
0
|
2
|
3
|
4
|
दिसम्बर
|
1
|
3
|
4
|
5
|
6
|
1
|
2
|
3
|
4
|
6
|
0
|
1
|
2
|
4
|
5
|
6
|
कैलेण्डर से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य :-
- हम जानते है कि 100 साल में विषम दिनों की संख्या 5, 200 साल में 3, 300 साल में 1, और 400 साल में 0 (शून्य) होती है।
- विषम दिनों की संख्या ज्ञात करने के लिये 7 का भाग दिया जाता है। जितना शेष बचता है वही विषम दिन होता है।
- एक साधारण वर्ष (365 दिन) में विषम दिनों की संख्या 1 व एक लीप वर्ष में विषम दिनों की संख्या 2 होती है।
- साधारण वर्ष में फरवरी 28 दिनों की और लीप वर्ष में फरवरी 29 दिनों की होती है।
- हर चार साल में लीप वर्ष आता है। लीप वर्ष ज्ञात करने के लिये सन् में 4 का भाग दिया जाता है। यदि भाग पूरा चला जाता है तो वो वर्ष लीप वर्ष होता है अन्यथा साधारण।
- इसी प्रकार 100 साल में विषम दिनों की संख्या ज्ञात करने के लिये सबसे पहले हमें लीप वर्षों की संख्या ज्ञात करनी पडेगी।
- एक शताब्दी या 100 साल में 24 लीप वर्ष और 76 साधारण वर्ष होते है।
- 24 लीप वर्षों में 48 विषम दिन और 76 साधारण वर्षों में 76 विषम दिन होते हैं।
- ये दोनों विषम दिन 7 से अधिक हैं इसलिए इसमें 7 से भाग देंगे। 48 ÷ 7 में शेषफल 6 और 76 ÷ 7 में शेषफल 6 बचेगा। कुल योग 6 + 6 = 12, फिर यह संख्या 7 से अधिक हो गयी । एक बार फिर इसमें 7 का भाग देंगे। 12 ÷ 7 में शेषफल 5 बचेगा। इस प्रकार एक शताब्दी (100 साल) में 5 विषम दिन हुये।
- 400 के गुणज वाले शताब्दी वर्ष लीप शताब्दी कहलाते हैं। जैसे :– 400, 800, 1200, 1600, 2000 आदि।
- लीप शताब्दी ज्ञात करने के लिये शताब्दी में 400 का भाग दिया जाता है। यदि भाग पूरा चला जाता है तो शताब्दी लीप शताब्दी होती है अन्यथा साधारण।
अदभुद कैलेण्डर बनाने का तरीका :-
1:- सबसे पहले हम जनवरी माह का अंक निकालेंगे । इसके लिये निम्न
नियमों का पालन करेंगे –
नियम न. 1:-
1. सर्वप्रथम लीप शताब्दी के बाद के साल में 4 का भाग देते हैं।
2. पूरा – पूरा
भाग जितनी बार जाता है उसको भाज्य में जोड देते हैं।
3. अब योग में 6 जोड देते हैं।
4. इस प्रकार से प्राप्त संख्या में 7 का भाग देते है, जो शेष बचता है वो जनवरी माह का अंक होता है।
उदाहरण 1 :- अगर हमें जनवरी 2015
का अंक निकालना हो तो निम्न प्रकार से निकालेंगे-
2015
को हम लिख सकते हैं :– (2000 +
15), (यहाँ 2000 लीप शताब्दी और 15 साल हैं)
1.
15 ÷ 4
में भाग 3 बार गया।
2.
15 + 3 =
18
3.
18 + 6 =
24
4.
24 ÷ 7
में शेष 3 बचा। शेष ही जनवरी माह का अंक है।
इस प्रकार 2015 ई. में जनवरी माह का अंक 3 हुआ।
उदाहरण 2 :- अगर हमें जनवरी 1990
का अंक निकालना हो तो निम्न प्रकार से निकालेंगे –
1990 को हम लिख सकते हैं– (1600 + 300 + 90)
चूँकि 1600 लीप शताब्दी है इसलिए इसका विषम दिन 0 (शून्य) हुआ।
300 शताब्दी में विषम दिनों कि संख्या 1 होती है।
90 सालो में विषम दिन निकालने के लिये उपरोक्त नियम का पालन
करेंगे।
1.
90 ÷ 4 में
भाग 22 बार गया।
2.
90 + 22
= 112
3.
112 + 1
(300 साल का 1 विषम दिन) = 113
4.
113 + 6
= 119
5.
119 ÷ 7
में शेष 0 बचा। शेष ही जनवरी माह का अंक है।
इस
प्रकार 1990 ई. में जनवरी माह का अंक 0 (शून्य) हुआ।
नियम न. 2 :-
अगर
शताब्दी के बाद के सन् में 4 का भाग देने पर शेष न बचे तो योग के बाद 1
कम कर लेते
हैं।
जैसे :- जनवरी 2012 का अंक निम्न प्रकार से ज्ञात करेंगे –
1. 12 ÷ 4 में भाग 3 बार गया, शेष नहीं बचा।
2.
12 + 3 =
15
3.
15 – 1 = 14
4.
14 + 6 =
20
5.
20 ÷ 7
में शेष 6 बचा।
इस
प्रकार जनवरी 2012 ई. का अंक 6 हुआ।
नियम न. 3 :-
अगर
लीप शताब्दी के तुरंत बाद के सनों, जिनका अंक 4 से कम होता है, का अंक निकालना हो
तो शताब्दी के बाद के साल में 6 जोड
देते हैं। योग 6 से ज्यादा हो जायेगा। योग में 7 का
भाग देंगे जो शेष बचेगा वही
जनवरी माह का अंक होगा।
जैसे :-
2001 में 2000 शताब्दी और 1 साल है। 1 में 4 का भाग नहीं जायेगा। इसलिये
1 में 6
जोडेंगे (1 + 6 = 7) योग हुआ 7, अब
इसमें 7 का भाग देंगे (7 ÷ 7) में
शेष आया 0 (शून्य)। अतः जनवरी माह का अंक हुआ 0
(शून्य)।
इसी तरह 2002, 2003 का भी अंक निकलेगा।
नोट :- जनवरी माह का अंक निकालने के लिये आखिरी स्टेप में 6 जोडा
जाता है। 6 जोडने
से पहले जो अंक होता है वह 1 जनवरी के दिन को प्रदर्शित करता है।
जैसे :– जनवरी 2015 में 4 शेष बचा। इससे पता चलता है कि 1 जनवरी 2015 को
ब्रहस्पतिवार होगा। जनवरी 1990
में 1 शेष बचा, अतः 1 जनवरी 1990 को सोमवार
होगा। जनवरी 2012 में 0 शेष बचा, अतः 1 जनवरी 2012 को रविवार होगा।
इसी प्रकार जनवरी 2001 में शेष 1 बचता
है, अतः 1 जनवरी 2001 को सोमवार होगा।
2:- जनवरी महीने के अंक से अन्य महीनों के अंक निकालने का तरीका:–
1. जो महीने 31 दिन के हैं उनके अंक में 3 जोडेंगे और जो महीने
30 दिन के हैं उनके अंक
में 2 जोडेंगे। इस प्रकार अगले महीने का अंक प्राप्त हो
जायेगा। अगर जोडने पर सँख्या
6 से अधिक हो जाती है तो उसमे 7 का भाग देंगे, जो शेष बचेगा वही अगले महीने का अंक
होगा।
2. साधारण वर्ष में फरवरी 28 दिनों की होती है। इसलिये मार्च
का अंक निकालने के लिये
फरवरी महीने में कोई अंक नहीं जोडा जाता। अर्थात फरवरी व
मार्च के अंक समान होते हैं।
3. लीप वर्ष में फरवरी 29 दिनों की होती है। इसलिये मार्च का अंक निकालने के लिये इसमे
केवल 1 जोडा जाता है। इस प्रकार मार्च का अंक फरवरी के अंक से 1 अधिक होता है।
उदाहरण :- जनवरी 2015 का अंक 3 है। इससे अन्य महीनों के अंक निम्न प्रकार से निकालेंगे:–
महीना
|
जनवरी
|
फरवरी
|
मार्च
|
अप्रैल
|
मई
|
जून
|
जुलाई
|
अगस्त
|
सितम्बर
|
अक्टूबर
|
नवम्बर
|
दिसम्बर
|
अंक
|
3
|
3+3=6
|
6+0=6
|
6+3=9
यानि 2
|
2+2=4
|
4+3=7
यानि 0
|
0+2=2
|
2+3=5
|
5+3=8
यानि 1
|
1+2=3
|
3+3=6
|
6+2=8
यानि 1
|
विशेषतायें :-
1. साधारण वर्ष में जनवरी और अक्टूबर
का अंक समान रहता है। यदि सन् लीप वर्ष है
तो
अक्टूबर का अंक जनवरी के अंक से 1 अधिक हो जायेगा।
2. साधारण वर्ष में फरवरी, मार्च और नवम्बर का अंक समान होता है। यदि सन् लीप वर्ष
है तो मार्च और नवम्बर का अंक फरवरी के अंक से 1 अधिक हो
जायेगा।
3. अप्रैल और जुलाई का अंक समान रहता है। अगर लीप वर्ष है तो जनवरी, अप्रैल और
जुलाई के अंक समान होते हैं।
4.
सितम्बर
और दिसम्बर के अंक समान होते हैं।
5.
लीप वर्ष में फरवरी और अगस्त के अंक समान होते हैं।
6.
साधारण वर्ष
में मई, जून और अगस्त के अंक
किसी भी महीने से मैच नहीं करते।
7.
एक जैसे
कैलेण्डर या तो 6 साल या फिर 11 साल के अंतर से आते हैं लेकिन ऐसा सभी
कैलेण्डर के
साथ नहीं होता है।
नोट:-
कैलेण्डर को बनाने में पूरी सावधानी बरती गयी है फिर भी गलती से इन्कार नहीं किया
जा सकता।
आपके सुझाव सादर आमंत्रित हैं।
शुक्रिया इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिये।
जवाब देंहटाएंआभार अंकुर जी और नए साल की शुभकामनायें।
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