जाति तो प्यार से बड़ी हो गयी ।
हम दोनों के बीच में खड़ी हो गयी ।।
जागता हूँ याद और सो जाऊँ तो फिर ख़्वाब ।
है याद बहुत आता मुझे मेरा अहबाब ।।
मेरे जीने की मुश्क़िल घड़ी हो गयी ।
जाति तो प्यार से बड़ी हो गयी ।।
कहती है मुझसे मयक़दे चलते हैं ।
तुम चलते नहीं तो फिर हम चलते हैं ।।
मेरी ज़िन्दगी भी अब तो मनचली हो गयी ।
जाति तो प्यार से बड़ी हो गयी ।।
वो भी करती प्यार मुझे उसकी ज़रूरत है ।
फिर भी न मिल पायी ये कैसी मुहब्बत है ।।
अब तो दिल में मेरे खलबली हो गयी ।
जाति तो प्यार से बड़ी हो गयी ।।
जातियाँ समाज से कब ख़तम होंगी यार ।
है जातियों ने छीना हमसे हमारा प्यार ।।
मेरी ज़िन्दगी वीरान उजड़ी हो गयी ।
जाति तो प्यार से बड़ी हो गयी ।।
हम दोनों के बीच में खड़ी हो गयी ।।
जागता हूँ याद और सो जाऊँ तो फिर ख़्वाब ।
है याद बहुत आता मुझे मेरा अहबाब ।।
मेरे जीने की मुश्क़िल घड़ी हो गयी ।
जाति तो प्यार से बड़ी हो गयी ।।
कहती है मुझसे मयक़दे चलते हैं ।
तुम चलते नहीं तो फिर हम चलते हैं ।।
मेरी ज़िन्दगी भी अब तो मनचली हो गयी ।
जाति तो प्यार से बड़ी हो गयी ।।
वो भी करती प्यार मुझे उसकी ज़रूरत है ।
फिर भी न मिल पायी ये कैसी मुहब्बत है ।।
अब तो दिल में मेरे खलबली हो गयी ।
जाति तो प्यार से बड़ी हो गयी ।।
जातियाँ समाज से कब ख़तम होंगी यार ।
है जातियों ने छीना हमसे हमारा प्यार ।।
मेरी ज़िन्दगी वीरान उजड़ी हो गयी ।
जाति तो प्यार से बड़ी हो गयी ।।
सच को बयां करती पंक्तियां ............सुंदर प्रयास
जवाब देंहटाएंअजय जी सच कहा आपने ये सच ही है।
हटाएंअजय जी बहुत आभार ब्लॉग पर आने के लिए।
हटाएंhakikat bayan karati kavita. sundar prastuti.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया दीदी।
हटाएंpyaari aur masoom si kavita.....
जवाब देंहटाएंchhu gai di ko! :)
shukriya.
हटाएंlikhne wala bhi masoom hai.