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| चित्र स्रोत :- गूगल, | 
मोहब्बत  का  दर्द  भी  कितना अजीब  है ।
ये  दर्द  मिले  जिसको वो  ख़ुशनसीब  है ।।
इश्क   बिना   कोई   जियेगा   किस  तरह ।
जो   दिलवाला   है   वो  रब  के  करीब  है ।।
हिम्मत नहीं है मुझमें  माँगू  खुदा से कैसे ।
नहीं देगा  मुझे सनम मेरा  खुदा  रक़ीब है ।।
दिल तोड़ने वाले ज्यादा हैं जोड़ने वाले कम ।
टूटे  जो  दिल  को  जोड़े  वो  तो  हबीब  है ।।
दौलत  नहीं  है  लेकिन  जो  प्यार  बाँटता ।
बड़ा   है  दिल   जिसका   न   वो  ग़रीब  है ।।
ख़ुदा को चाहने वाले ही  प्यार किया करते ।
प्यार   खुदा   से  मिलने  की   तरक़ीब  है ।।
 
 
ख़ुदा को चाहने वाले ही प्यार किया करते ।
जवाब देंहटाएंप्यार खुदा से मिलने की तरक़ीब है ।।
..बहुत सुन्दर ...
शुक्रिया कविता जी।
हटाएंबहुत सुंदर ! ब्लागर का फौलौवर बटन भी लगायें।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जोशी जी। ब्लॉगर का फॉलोवर बटन मुझे नहीं मिला कृपया मदद करें।
हटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
धन्यवाद मनोज जी। मैं आपका ब्लॉग फॉलो करता हूँ। अच्छा है।
हटाएंदिल तोड़ने वाले ज्यादा हैं जोड़ने वाले कम ।
जवाब देंहटाएंटूटे जो दिल को जोड़े वो तो हबीब है ...
सच कहा है दोस्त जो सच्चा हो वही दिल को जोड़ता है ... अच्छे ख्यालों का ताना बाना ..