मंगलवार, 23 दिसंबर 2014

शराफ़त का ऐलान करने वाले बेवफ़ा हो रहे हैं ।।

मुझको   अपना   बनाकर   वो  जुदा  हो  रहे  हैं ।
मेरी   इबादत   की   वो   तो   दुवा   हो   रहे  हैं ।।
वक़्त ने  हमको  आज   कहाँ,  खड़ा  कर  दिया ।
जिस से विदा नहीं चाहते थे  अलविदा हो रहे हैं ।।
इस फ़रेबी दुनियाँ में किस पर भरोसा किया जाये ।
शराफ़त  का ऐलान  करने वाले बेवफ़ा हो रहे हैं ।।
इससे   बड़ा   दर्द   और   क्या   मिलेगा   हमको ।
वो    ख़ुश    हैं    की    हम   फ़ना    हो    रहे   हैं ।।
तेरे प्यार को ठुकराना "सागर" लाज़मी है उनका ।
सारी दुनियाँ के आशिक़  उन पर फ़िदा हो रहे हैं ।।

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...

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